वो यादे बचपन की !


बचपन की वो  यादे  जब खेतोँ में जाना हुआ करता था ,
वो रास्ते भर मटरगस्ती थी और वो भाग कर आगे  निकल  जाना ,
वो रास्ते में आ रही बकरिओं को पकड़ना ,
और वो ट्रेक्टर के पीछे भाग कर ट्रॉली में चढ़ना ,
आज याद  आ रहा है ।


वो खेतो में जाकर आम गिराना और वो ईमलीओ के लिए लड़ना ,
वो पेड़ो  की ठंडी छाव में सोना और वो पानी के  हौद में कूदकूद नहाना ,
आज याद आ रहा  है।


वो छाच और प्याज के साथ रोटी खाना ,वो मना करने पर भी घंटो नहाना ,
और  पानी से बाहर आकर ठिठुरना ,नहा कर फिर से माटी में खेलना ,
और बाद में  माँ से  मार खाना ,
याद आ रहा है।

playing in the soil

आज खेतो में गए अरसा  गया ,पर आज भी वही ख़ुशी थी ,
जैसे एक ही दिन में मैंने अपना बचपन जी लिया....................। 

                                                                                                 





                                                                                              लेखक :सुनिल कुमार



वो यादे बचपन की ! वो यादे बचपन की ! Reviewed by sunil kumar on April 13, 2019 Rating: 5

2 comments:

Powered by Blogger.